विद्या आश्रम पर दर्शन वार्ता 12-14 अक्टूबर 2019

घोषणा के अनुरूप 12 – 14 अक्टूबर को विद्या आश्रम, सारनाथ में दर्शन वार्ता हुई। 

विचार के प्रमुख बिंदु रहे —- स्वायत्तता, न्याय, ज्ञान-पंचायत, लोकस्मृति, कला दर्शन, सामान्य जीवन, स्वराज, नारी-विद्या, संत परंपरा व शास्त्रीय दर्शन और लोक भाषा। दर्शन स्तर की समाज के लिए प्रासंगिक चर्चाएं हुईं। टेक्नॉलॉजी तथा मनुष्य निर्मित संस्थाओं और वर्तमान राजनीति के विकल्प के लिए भारतीय दर्शन परम्पराओं, ज्ञान और विवेक के संदर्भों में ठोस विचार सामने आए और उन पर चर्चा हुई। 

बंगलुरु में हाथ से उत्पादन उद्योग के पक्ष में चल रहे आन्दोलन ने हस्त उद्योग, रोज़गार और प्रकृति संरक्षण को केंद्र में रखते हुए ‘पवित्र आर्थिकी’ के पक्ष में आवाहन किया है. इसके लिए ग्राम सेवा संघ के सरगना एवं जाने-माने कलाकार प्रसन्ना एक अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ चुके है. इस आन्दोलन में कला क्षेत्र की पारंगत एवं जानी-मानी हस्तियाँ शामिल हुई हैं. कई लोग उनके साथ उनके समर्थन में एक दिवसीय अनशन पर रहे. बंगलुरु से आये मित्रों ने इस आन्दोलन के बारे में बताया. यह बात सामने आई कि न वाम और न दक्षिण पंथ के अंतर्गत आने वाले इस आन्दोलन की प्रेरणा के स्रोत गाँधी हैं. यह आन्दोलन दर्शन के स्तर पर समाज में हस्तक्षेप कर रहा है. सरकार से कुछ मांग नहीं रहा है बल्कि देशवासियों से एक बात कह रहा है. विद्या आश्रम की दृष्टि में यह बौद्धिक सत्याग्रह का प्रकट और सार्वजनिक रूप है. पवित्र आर्थिकी के विचार पर चर्चा हुई. तीन दिन की इस दर्शन वार्ता में  केरल से पी.के.ससिधरन, चेन्नई से सी.एन. कृष्णन व विद्या दुराई, बंगलुरु से जे.के.सुरेश, जी.एस.आर. कृष्णन, राजकुमारी कृष्णन, हैदराबाद से अभिजित मित्रा, मुम्बई से वीणा देवस्थली, नागपुर से गिरीश सहस्रबुद्धे, इंदौर से संजीव दाजीऔर अंजलि, इलाहाबाद से स्वप्निल और राजेश  कपूर, असम से संचारी भट्टाचार्य, बंगाल से देबप्रसाद, बंदोपाध्याय, रूपा व आखर और दिल्ली से अविनाश ने शिरकत की. वाराणसी से सुनील सहस्ररबुद्धे, रमण  पन्त, अरुण चौबे, प्रवाल सिंह,  फ़ज़लुर्रहमान अंसारी, लक्ष्मण प्रसाद, चित्रा,  प्रेमलता सिंह, आरती, गोरखनाथ, विनोद चौबे और अलीम, मऊ से अरविंद मूर्ति और उनके साथियों ने शिरकत की.  

पहले दिन इलाहाबाद से पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविकिरण जैन और आजकल वाराणसी रह रहे न्याय के दार्शनिक पी.के.मुखोपाध्याय दर्शन वार्ता में शामिल हुए और समापन के दिन वाराणसी के वरिष्ठ समाजवादी और पत्रकार विजय नारायण जी शामिल हुए.

13 अक्टूबर को गंगाजी के किनारे राजघाट पर अपने दर्शन अखाड़ा पर सब जने बैठे। वातावरण निर्मल और सुकून भरा था तो ज़रूर, पर पूरब में थोड़े बादल होने से शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय हम लोग नही देख सके। आधे पौन घंटे बाद थोड़ा ऊपर आया हुआ चाँद अपनी पूरी आभा के साथ दिखाई दिया। लोकविद्या जन आंदोलन के दर्शन और कार्यक्रम पर चर्चा हुई। इसके बाद सबको खीर खाने को मिली। गोरखनाथ जी का विशेष प्रबंध था।

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12 और 14 अक्तूबर को विद्या आश्रम में दर्शन वार्ता 

 

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13 अक्तूबर को गंगाजी के किनारे दर्शन अखाड़ा पर दर्शन वार्ता

 

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