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कला

  • कला दर्शन जीवन दर्शन का हिस्सा है इसलिए कला पर बहस समाज में सहज ही एक दार्शनिक संवाद को जन्म देती है .
  • कला सहज संवाद का माध्यम है . कलाकार और रसिक (श्रोता,दर्शक ) बराबर के ज्ञानी माने जाते हैं और उनके बीच बराबरी का संवाद होता है. कला के मार्फ़त होनेवाली विलक्षण अनुभूति के लिए  किसी प्रशिक्षण की दरकार नहीं होती.
  • कला, कलाकर्म और कलाकार सतत् जीवन में सत्य, नैतिकता और सौंदर्य का पुनर्निर्माण करते हैं . कला की प्रेरणा जीवन में विकृति (अनैतिक) को दूर करने में है.
  • कला सामान्य जीवन के संदर्भ को जीवंत रखती है , इतिहास को हावी नहीं होने देती और न किसी विचारधारा के चौखट में बंधती है.
  • लोकविद्या और शास्त्र के बीच सम्बन्ध के विविध आयाम कला की दुनिया में देखे जा सकते हैं .

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