दर्शन अखाड़ा

Darshan Akhada

Menu

Skip to content
  • दर्शन
  • सामान्य जीवन
  • ज्ञान
  • कला
  • भाषा
  • स्वराज
  • सम्पर्क

दर्शन

  • सामान्य जीवन के विचारों को दर्शन में एक प्रभावी, स्पष्ट एवं तार्किक अभिव्यक्ति मिलती है. इसीलिए हम कहते हैं कि लोकविद्या सामान्य जीवन और दर्शन के बीच का सेतु है. सामान्य जीवन सबसे समृद्ध जीवन है और किसी भी समय का दर्शन उस समय के सामान्य जीवन का हिस्सा होता है. दर्शन और सामान्य जीवन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. मनुष्य की गति का एक बड़ा आयाम इन दोनों के बीच सेतु का काम करता है . दिन प्रतिदिन की क्रियाओं को आकार देने का जो ज्ञानगत आधार  होता है, वही यह सेतु है. ये क्रियाएं जीवनयापन की क्रियाएं हैं . तरह तरह की सामाजिक आर्थिक, व्यवस्थापरक तथा जीविकोपार्जन की क्रियायें इसमें शामिल हैं. इन क्रियाओं से सम्बंधित जो ज्ञान होता है, उसे ही लोकविद्या कहते हैं. लोकविद्या ही सामान्य जीवन और दर्शन के बीच  का सेतु है. इन तीनों में किसी एक की वजह से दूसरा नहीं होता और किसी को किसी दूसरे के अस्तित्व के मार्फ़त समझना एक दोषपूर्ण क्रिया है . समाज इसे मान्यता नहीं देता क्योंकि इससे श्रेणीबद्धता का विचार व श्रेणीबद्धता की वास्तविकता नजदिकी से जुड़े प्रतीत होते हैं.
  • जीवन के किसी भी काल में प्रवेश कीजिये तो उत्कृष्ट विचारों की उपस्थिति नज़र आएगी, दर्शन की मन मोहने वाली तथा प्रभावित करने वाली व्यापक उपस्थिति नज़र आएगी. दर्शन और विचारों की यह उपस्थिति समाज में चलने वाली क्रियाओं से सम्बन्ध तो रखती हैं किन्तु किन्हीं खास सामाजिक क्रियाओं में उनके कोई प्रमुख कारण हों ऐसा होना ज़रूरी नहीं है. किन्हीं सामाजिक क्रियाओं को दर्शन रचना के निमित्त रूप में देखा जा सकता है किन्तु कारण अथवा करक के रूप में नहीं. दर्शन अथवा व्यापक विचार सामान्य जीवन के समगामी होते हैं , न अनुगामी और न नेतृत्वकारी. इन दोनों रूपों में वे बहुधा दिखाई दे सकते हैं लेकिन ये उनके प्रमुख अथवा निर्णायक रूप नहीं होते.
  •  सामान्य जीवन, लोकविद्या और दर्शन एक दूसरे पर निर्भर होते हैं. इनमें से किसी एक में जब दुविधा की स्थिति पैदा होती है, सही-गलत के आकलन में कठिनाई आती है तब इस परिस्थिति का हल शेष दोनों से मिलता है. ज्ञान पंचायत ऐसे हल खोजने का रास्ता है.
  • सामान्य जीवन, लोकविद्या, दर्शन और ज्ञान पंचायत, इनसे जो वास्तविक और वैचारिक विस्तार बनता है वह  समाज के नेतृत्व और सामान्य लोगों के बीच दार्शनिक संवाद का स्थान है.

 

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook

Like this:

Like Loading...
Widgets
Follow दर्शन अखाड़ा on WordPress.com

Enter your email address to follow this blog and receive notifications of new posts by email.

Join 309 other subscribers
Blog at WordPress.com.
  • Follow Following
    • दर्शन अखाड़ा
    • Already have a WordPress.com account? Log in now.
    • दर्शन अखाड़ा
    • Customize
    • Follow Following
    • Sign up
    • Log in
    • Copy shortlink
    • Report this content
    • View post in Reader
    • Manage subscriptions
    • Collapse this bar
%d bloggers like this: