- सामान्य जीवन मनुष्य के ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार है. यही ज्ञान का वह भंडार है जो गरीबी और विषमता से मुक्ति का रास्ता बता सकता है.
- सामान्य जीवन में मनुष्य की नियामक शक्ति होती है . सामान्य जीवन धर्म, साइंस, टेक्नोलाजी, व्यापार, उत्पादन के रूप, राज्य इत्यादि किसी पर भी निर्भर नहीं होता. यह एक तरह का स्वयं सिद्ध जीवन है. यह सबसे समृद्ध जीवन है.
- सामान्य जीवन में अधिकतर सत्य, सादगी और नैतिकता पायी जाती है. किन्तु इसमें झूठ, शान-शौकत, अनैतिकता आदि भी होता है. बात लेकिन यह है कि इसमें सत्य, नैतिकता, न्याय, विवेक इत्यादि की कसौटी होती है तथा वह शक्ति भी होती है जो मनुष्य के सिद्धांत और व्यवहार को इन कसौटियों पर परखे और जो होना चाहिए उसका आग्रह रखे तथा उन प्रक्रियाओं को जन्म दे जो वैसा कर सकें. यानि यह खुद ही अपना निर्माण और पुनर्निर्माण करता रहता है. खुद ही अपने को नियंत्रित और संचालित करता है.
- सामान्य जीवन के ज्ञान और व्यवहार के रूप तथा सही और गलत के बीच चुनने की कसौटियां वे सन्दर्भ हैं जो दर्शन अखाड़ा को अपने प्रमुख कार्य से न डिगने की ताकत देते हैं.
- समाज किन्हीं संरचनाओं में जीने वाले मनुष्यों का समूह होता है, जिनके पास अपने ज्ञान, मूल्य और परम्पराओं की विरासत और व्यवस्थाएं होती हैं, जो सामान्य जीवन में मनुष्यों के विचार एवं व्यवहार में दिखाई देती हैं . गरीबी और विषमता ये समाज की असामान्य स्थिति है जिसका एक बड़ा कारण इसमें है कि प्रतिकूल ताकतें सामान्य जीवन पर हिंसक आक्षेप करती हैं.
- दर्शन अखाड़ा में सामान्य जीवन के गुण धर्म की चर्चाएं की जाएँगी तथा आक्षेपकर्ता हिंसक ताकतों से मुक्ति के रास्तों पर विचार किया जायेगा.